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Archive for November 23rd, 2009

dil ke armaan

रात को जब भी अपना सपना अधुरा पाया
जागी आँखों से खुद को अकेला ही पाया
जलती रही शमा तेरे नाम की दिल में अब तक
पर इसकी लौ में खुद को जलता हुआ पाया

तू याद करे ना करे उन लम्हों को कभी
पर शायाद हमने उन लम्हों में अपना जहाँ पाया
लोग कहते है की दीवानगी की भी हद होती है
पर खुद को हर बार इस हद से पार ही पाया

आज भी तेरा नाम आता है इन लबो पर एक तमना बन कर
उठते है हाथ मेरे तेरी ही दुआ दिल से लेकर
तू माने न माने इस बात को कभी लेकिन
तुझे अपने खुदा से बढ़ कर हमने है माना

यह लौ दिल की भुझने का नाम ही नहीं लेती
आँखों से तेरी तस्वीर उतरने का नाम नहीं लेती
हम लाख समझा ले इस पागल दिल को अपने
यह धड़कने जो है वो रुकने का नाम हे नहीं लेती..

हर झुकती पलक तुमसे कहती है वो
दिल में छुपे हमारे हर जस्बात है जो
और तेरे लिए मर मिटने की चाहत है जो
इन अल्फासो में कभी बयान नहीं होती …

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